Tirathgarh waterfall : तीरथगढ़ जलप्रपात छत्तीसगढ़ का सबसे खूबसूरत और सबसे ऊंचा जलप्रपात है तीरथगढ़ जलप्रपात के प्राकृतिक सौंदर्य ने इसे एक पर्यटन स्थल में बदल दिया है।
तीरथगढ़ जलप्रपात छतीसगढ़ के जगदलपुर से 35 किलोमीटर दूर बस्तर के जंगलों में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह कांगेर नदी की सहायक नदियां मुनगा नदी और बहार नदी के ऊंचाई से गिरने से बनता है।
तीरथगढ़ जलप्रपात को यहां जगदलपुर की आम भाषा दूधिया झरना भी कहते हैं जिसका कारण है इस जलप्रपात के पानी का दूध जैसा श्वेत रंग, जलप्रपात के ऊपर पानी का रंग हल्के नीला होता है परन्तु जलप्रपात पर चट्टानों से टकराने के कारण इसका रंग दूध जैसा श्वेत हो जाता है।
तीरथगढ़ जलप्रपात की भव्य सुन्दरता | The Magnificent Beauty of Tirathgarh Waterfall
भारत के सर्वाधिक प्रसिद्ध जलप्रपातों में से एक है तीरथगढ़ जलप्रपात, इस जलप्रपात के चारों ओर साल, सांगवान, और तेंदू आदि वृक्षों के घने जंगल हैं, झरने के आसपास की हरी-भरी हरियाली इसके आकर्षण को बढ़ाती है। ऊंचे और घने पेड़ों के पत्तों की सर-सराहट की आवाज सुनने से ऐसा लगता है जैसे यह पेड़ आपस में कुछ बातें कर रहे हों।
जैसे-जैसे जंगल के बीच से तीरथगढ़ जलप्रपात की ओर आगे बढ़ते हैं कई सारे रंग-बिरंगे चह-चहाते पक्षी और पेड़ की डाली तथा नदी किनारे बैठे बंदर दिखाई पड़ते हैं। जलप्रपात तक पहुंचने के लिए 220 सीढ़ियां बनी हुई है, इन सीढ़ियों का कुछ दृश्य दिखाई देने लगता है। इन सीढ़ियों के साथ सीमेंट-पत्थर से बनी हुई रैलिंग को बिल्कुल लकड़ी जैसा आकार दिया गया है।
इस जलप्रपात के पानी की आवाज बादलों की गढ़गढ़ाहट जैसी होती है, बारिस के मौसम में इसकी आवाज 1 किलोमीटर से भी अधिक दूर तक सुनाई देती है। जलप्रपात के पानी ने अपने तेज बहाव से यहां की चट्टानों को सीढ़ीनुमा आकार में काटा है, प्रकृति की यह कारीगरी पर्यटकों को आश्चर्यचकित कर देती है।
झरने के सामने एक बड़ी चट्टान पर एक छोटा सा मंदिर है। चारों ओर 1,000 वर्ष पुरानी, उन्नत हिन्दू सभ्यता के खंडहर हैं। यदि आप जगदलपुर जाएं तो कृपया इस स्थान को अवश्य देखें।
समुद्र तल से तीरथगढ़ जलप्रपात की ऊंचाई लगभग 300 फुट है। मुख्य जलप्रपात के अलावा 2 जलप्रपात और भी हैं जिन्हे लेवल 2 वाटरफॉल और लेवल 3 वाटरफॉल नाम दिया गया है। मुख्य जलप्रपात से 120 सीढ़ियां नीचे उतरने पर लेवल 2 वाटरफॉल तथा कुछ और नीचे जाने पर लेवल 3 वाटरफॉल देखने को मिलता है।
सावधानी :- जलप्रपात बीच पानी में प्रवेश ना करें पानी बहुत अधिक गहरा है साथ ही पानी में एक भंवर भी है।
तीरथगढ़ जलप्रपात के नाम के पीछे की किवदंती
तीरथगढ़ जलप्रपात जगदलपुर छत्तीसगढ़ के लोगों और स्थानीय जनजातियों के लिए बहुत सांस्कृतिक महत्व रखता है। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, झरने के पास स्थित शिवजी और माता पार्वती का मंदिर एक बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता है।
यहां अनेकों तीर्थयात्री आशीर्वाद लेने और अपने पाप धोने आते हैं। “तीरथगढ़” नाम का अर्थ ही तीर्थस्थान है। मकर संक्रांति के त्योहार के दौरान, बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करने और झरने के पवित्र जल में स्नान करने आते हैं।
इस क्षेत्र की खूबसूरती, आसपास की सांस्कृतिक समृद्धि, आध्यात्मिक आभा और ईश्वर के प्रति आस्था तीरथगढ़ जलप्रपात को वास्तव में एक अद्वितीय गंतव्य बनाती है।
तीरथगढ़ जलप्रपात के आस-पास घूमने की जगहें (Places to visit near Tirathgarh Waterfall)
तीरथगढ़ वाटरफॉल के आस-पास कई सारी घूमने की जगहें हैं, इन जगहों मे कहीं संस्कृति, कहीं कलाकृति तो कहीं इतिहास की झलक दिखाई पड़ती है।
मंदारकोंटा गुफा (Mandarkonta Cave)
अगर आप पूर्णतः स्वस्थ हैं और एडवेंचर का शौक रखते है तभी इस गुफा के अंदर जाएं, मंदारकोंटा गुफा के अंदर जाने का रास्ता बहुत ही सकरा (छोटा) है। गुफा के अंदर बिल्कुल अंधेरा होता है। यहां के लोकल गाइड अपने साथ टॉर्च लेकर आपको अंदर लेकर जाते हैं।
गुफा के अंदर बहुत सारे स्टैलेक्टाइट्स (stalactites) और स्टैलेग्माइट्स (stalagmites) का निर्माण होता है, गुफा बहुत लंबी है और इसके अंदर की जगह फिसलन भरी है। गुफा के अंदर पानी का रिसाव होता है जिससे कई जगहों पर गीली मिट्टी और कीचड़ से गुजरना होता है।
कोटमसर गुफा | कुटुमसर गुफा (Kotumsar Cave)
तीरथगढ़ जलप्रपात के निकट ही कोटमसर गुफा है जो जमीन से 55 फुट से लेकर 70 फुट तक गहरी है। कोटमसर गुफा लम्बाई 330 मीटर तक है, इसके अंदर कई कमरे बने हुए हैं जिनकी चौड़ाई 20 से लेकर 70 मीटर तक है।
एक शोध से पता चला है की इन गुफाओं में करोड़ों साल पहले प्रागैतिहासिक काल में मनुष्य रहते थे या यूं कहें की आदिमानव रहा करते थे। इस गुफा में कई पानी की झिरें हैं। इस गुफा मे जो पानी है उसमें अंधी मछलियां रहती है।
दंडक गुफा (Dandak Cave)
दंडक गुफा बड़ी, विशाल, शांत गुफा है जो कि एक पहाड़ी पर स्थित है। गुफा में प्रवेश करने के लिए पर्यटकों को लगभग 500 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं। दंडक गुफा की खोज अप्रैल 1995 में कि गयी थी। यह गुफा जमीन से 50 फुट से 80 फुट तक गहरी है। दंडक गुफा की लंबाई 200 मीटर तक है।
दंडक गुफा में दो खंड है-प्रथम खंड में प्रवेश करने के बाद एक बड़ा सा सभाग्रह दिखाई देता है, इसमें दैत्याकार ड्रिप स्टोन की ठोस एवं शुभ्र संरचनायें है। दूसरे खंड में पहुचने के लिए घुटनों के बल सरककर जाना पड़ता है, इसमें गहन अंधकार में डूबा हुआ एक कुआँ के सदृश्य संरचना है। तत्पश्चात स्टेलेक्टाइट की श्वेत एवं सुन्दर संरचनाएं दिखाई देता है, इसमें भी उजाले के लिए टॉर्च का उपयोग किया जाता है।
इनके अतिरिक्त कांगेर धारा जलप्रपात, कुंडरुक जलप्रपात, शिवगंगा जलप्रपात, कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान, चित्रकोट जलप्रपात, कोंडागांव इत्यादि घूमने की जगहें हैं।
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