ऋषिकेश में घूमने की जगह | rishikesh me ghumne ki jagah

rishikesh me ghumne ki jagah : ऋषिकेश उत्तराखंड राज्य के देहरादून शहर में स्थित है यह अपने प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

ऋषिकेश गंगा, चंद्रभगा और सोंग नदी के किनारे बसा हुआ है, यह सुन्दर स्थानों की यात्रा करने वाले पर्यटकों पर्यटकों के लिए ऋषिकेश आकर्षक जगह है, और सभी सनातनी श्रद्धालुओं के लिए तीर्थस्थान है।

अध्यात्मिकता के अद्भुत वातावरण के कारण ऋषिकेश को योग नगरी भी कहा जाता है,यहाँ कई सारे योग आश्रम हैं जहाँ लोग ध्यान और योग का अभ्यास करते हैं और अपने मानसिक तथा शारीरिक स्वास्थ्य की देखभाल करते हैं।

ऋषिकेश में घूमने की जगहें | Rishikesh places to visit in Hindi

त्रिवेणी घाट

त्रिवेणी घाट ऋषिकेश में स्थित एक अध्यात्मिक और सांस्कृतिक स्थल होने के साथ-साथ ऋषिकेश का प्रमुख पर्यटन भी है यहाँ पर गंगा जी आरती का दृश्य बड़ा ही मनोरम होता है।

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त्रिवेणी घाट

यहाँ प्रतिदिन सुबह आरती और शाम को महाआरती की जाती है, शाम के 7 बजे सभी पुजारी एक कतार में खड़े होकर एक साथ एक ही लय में जब गंगा जी की महाआरती करते हैं। तब गंगा जी जल में आरती के दीपकों के प्रतिविम्ब ऐसे दिखाई पड़ते हैं मानो आसमान से तारे उतरकर नदी में तैर रहे हों।

त्रिवेणी घाट को लोग अक्सर त्रिवेणी संगम समझने की भूल करते हैं। यहाँ पर हम अपने पाठकों को बाता दें कि तीन पौराणिक नदियों गंगा, जमुना और सरस्वती का मिलन प्रयागराज में होता है और इनके मिलन स्थल को त्रिवेणी संगम कहा जाता है।

त्रिवेणी घाट पर गंगा जी और चंद्रभगा दो नदियों का मिलन होता है। हलांकी ऋषिकेश में तीन नदियाँ हैं। त्रिवेणी घाट से लगभग 10.5 किलोमीटर और आगे चलने पर, ऋषिकेश के पश्चिमी छोर पर गंगा जी में सोंग नदी आकर मिलती है।

लक्षमन झूला

लक्ष्मण झूला एक पुल है जो गंगा नदी के ऊपर लोहे की सांकलों और तारों के सहारे हवा में लटक रहा है। यह पूरा पुल लोहे से बना हुआ है। लक्ष्मण झूला 450 फीट लंबा है और गंगा नदी से 70 फीट की ऊंचा है। इस पर सिर्फ पैदल चलने की अनुमति है, सभी प्रकार के वाहनों का प्रवेश वर्जित है।

लक्षमन झूला
लक्षमन झूला

पौराणिक कथाओं और जनश्रुतियों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि वनवास के दौरान गंगा नदी को पार करने के लिए भगवान श्री राम के छोटे भाई लक्ष्मण जी ने इसी स्थान पर जूट की रस्सियों का पुल बनाया था।

लक्ष्मण झूला के एक ओर गंगा नदी के तट पर तपोवन गाँव तथा दूसरी ओर जोंक गाँव बसा हुआ है, दोनों गाँव में अनेकों मंदिर बने हुए हैं जिस कारण से यहाँ के वातावरण में सुबह शाम निरंतर मंत्रोंचार की ध्वनि गुंजायमान होती रहती है।

राम झूला

राम झूला और लक्ष्मण झूला के बीच की दूरी लगभग 2 किलोमीटर है। यह लक्ष्मण झूला और त्रिवेणी घाट के लगभग बीच में स्थित है। इसकी बनावट बिल्कुल लक्ष्मण झूले के जैसी है। इसका निर्माण यहाँ हाँगा जी के दोनों ओर स्थित महत्वपूर्ण के बीच सुलभ आवागमन तथा लक्ष्मण झूले पर बड़ते पर्यटन भार को कम करने के उद्देश्य से किया गया था।


Ram-jhula
Ram-jhula

यहाँ पर गंगा नदी के किनारे एक ओर विश्वनाथ घाट, विश्वनाथ मंदिर, गोवर्धन धाम, शिवानंद ऑडिटोरियम, गुरुदेव कुटीर, शिवानंद आश्रम, शिवानंद जी की समाधि, योग निकेतन इत्यादि स्थल हैं।

राम झूले के दूसरी ओर गंगा कुटीर रामेश्वर मंदिर, श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर, श्री सीताराम मंदिर, गीता भवन, गीता आश्रम, स्वर्ग आश्रम, राम झूला घाट, राम झूला बीच, ॐकार योग शाला इत्यादि महत्वपूर्ण स्थल हैं।

स्वर्ग आश्रम

राम झूले के निकट ही शांत और प्राकृतिक वातावरण में स्वर्ग आश्रम स्थित है, जो आध्यात्मिक शिक्षा और प्रशिक्षण का केंद्र है। यहाँ पर विभिन्न ध्यान तथा योग की प्रशिक्षा दी जाती है, और यहाँ के गुरुजनों के मार्गदर्शन में लोग अपने आध्यात्मिक अभियांत्रण का अभ्यास करते हैं।

स्वर्ग आश्रम का आध्यात्मिक माहौल अत्यंत शांतिपूर्ण है, और यहाँ के विचारणा और ध्यान की अद्वितीय अवसर प्रदान करते हैं। यह एक स्थान है जहाँ लोग ध्यान का अभ्यास करते हैं और अपने आत्मिक और भौतिक स्वास्थ्य की देखभाल करते हैं।

स्वर्ग आश्रम के प्रमुख आकर्षणों में ध्यान केंद्र, ध्यान गुफा, और सत्संग शामिल हैं। यहाँ के गुरुजन और साधक आध्यात्मिक ज्ञान और शांति की खोज में लगे रहते हैं, और आश्रम का माहौल आत्मा को शांति और सुकून की ओर ले जाता है।

नीलकंठ महादेव मंदिर

नीलकंठ महादेव मंदिर, ऋषिकेश में स्थित एक प्रमुख आध्यात्मिक आभा का केंद्र है। श्रावण मास के कांवर मेले के समय हिन्दू भक्तों की धार्मिक यात्रा के लिए जाना जाता है। यहां पर प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की पूजा बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। शिवरात्रि के अवसर पर यहाँ सर्वाधिक भीड़ होती है।

नीलकंठ महादेव मंदिर के पास एक प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पहाड़ी इलाका है, जिसमें घने वन्यजीव और प्राकृतिक सौंदर्य है। यहां से आप आत्मा को शांति, सुख, और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव कर सकते हैं, और भगवान शिव की भक्ति करने का अद्वितीय अवसर प्राप्त कर सकते हैं।

वशिष्ट गुफा

वशिष्ट गुफा का इतिहास गहरा है और इसे महर्षि वशिष्ट के ध्यान और तप के स्थल के रूप में माना जाता है। इस गुफा में महर्षि वशिष्ट ने बहुत समय तक तप किया था और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया।

गुफा के अंदर एक जल स्त्रोत से पानी आकर जलकुंड में इकट्ठा होता है, इस जलकुंड को वशिष्ट कुंड कहा जाता है। वशिष्ट गुफा आज भी ध्यान और आध्यात्मिक अभ्यास के लिए एक प्रमुख स्थल है।

यहाँ योगी, साधक और आध्यात्मिक शिक्षक आते हैं और अपने आत्मा की खोज करते हैं। गुफा के अंदर की शांति और ध्यान की गहरी अनुभूति के साथ, यहाँ पर्याप्त समय आपके आत्मिक विकास के लिए होता है।

वशिष्ट गुफा आध्यात्मिक अनुष्ठान और आत्मा की खोज के लिए एक अद्वितीय स्थल है, जो ऋषिकेश के आध्यात्मिक और ध्यान संबंधित विरासत का हिस्सा है। यहाँ आने पर आपको आत्मा के अद्वितीय सफर का अहसास होता है और आपके जीवन को सार्थक बनाने के लिए नए दिशाओं में मदद करता है।

राजाजी नैशनल पार्क

राजाजी नैशनल पार्क, उत्तराखंड के देहरादून, ऋषिकेश, हरिद्वार, और पौड़ी जिलों में फैला हुआ है। इस वन्यजीव संरक्षित क्षेत्र का आकार करीब 820 वर्ग किलोमीटर है। इसमें वन्यजीवों के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाया गया है। यहाँ के वन्यजीवों में हाथी, बाघ, चीता, बारासिंघा, लेपर्ड, हिरण, सांभर, और अन्य प्रजातियाँ शामिल हैं।

राजाजी नैशनल पार्क की विशेषता यह है कि यह गंगा नदी के किनारे स्थित है और यहाँ के वन्यजीवों का संरक्षण गंगा नदी के पूरी सिंचाई विकल्प के साथ जुड़ा हुआ है। यह पार्क गंगा नदी के तट पर स्थित होने के कारण बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहाँ के जलवायु और वन्यजीवों के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है।

राजाजी नैशनल पार्क के पास कई प्राकृतिक झीलें और नदियाँ हैं, जो इसे एक बायोडाइवर्सिटी के रूप में बनाती हैं। यहाँ की वन्यजीव और पक्षियों की अधिकतम संख्या को बढ़ावा देने में ये जलाशय बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कैलाश निकेतन मंदिर

कैलाश निकेतन मंदिर ऋषिकेश के बन्दरपूंछ जिले में स्थित है और यहाँ पर साधु-संत और आध्यात्मिक शिक्षकों के आश्रम हैं। यहाँ के आश्रम में ध्यान, प्रार्थना, और आध्यात्मिक अध्ययन के लिए एक शांत और माध्यमिक माहौल होता है।

मंदिर का वातावरण शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक होता है और यहां के यात्री और धार्मिक अनुयायियों को आध्यात्मिक साधना और मनन के लिए एक आदर्श स्थल प्राप्त होता है। मंदिर का उसकी विशेष वास्तुकला और सुंदर आर्चिटेक्चर के लिए प्रसिद्ध है, और यह ध्यान करने वालों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

कैलाश निकेतन मंदिर, ऋषिकेश के पर्यटकों के लिए भी एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है, जो यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए आते हैं और मंदिर की शांति और आध्यात्मिक वातावरण का आनंद उठाते हैं।

इनके अतिरिक्त ऋषिकेश में कौडियाला, भरत मन्दिर, नीर गढ़ झरना इत्यादि घूमने की प्रमुख जगहें हैं।

ऋषिकेश कैसे पहुंचे?

हवाई जहाज:

सबसे सामान्य और तेज़ तरीका ऋषिकेश पहुंचने का है, वह है हवाई जहाज़ से। आप जॉलीग्रांट देहरादू हवाई अड्डे (Jolly Grant Dehradun Airport) पर उतर सकते हैं, जो ऋषिकेश से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर है।

ट्रेन:

रिशिकेश के पास एक रेलवे स्टेशन है, जिसका नाम “ऋषिकेश रेलवे स्टेशन” है। आप यहां से ट्रेन से पहुंच सकते हैं।

बस:

आप दिल्ली और उत्तराखंड के विभिन्न शहरों से ऋषिकेश के लिए बस सेवाएँ पा सकते हैं। इसके लिए आपको किसी बस स्टैंड पर जाना होगा और वहां से ऋषिकेश की ओर की बसें ढूँढ़नी होगी।

खुद की गाड़ी:

अगर आपके पास खुद की गाड़ी है तो आप रोड के माध्यम से भी ऋषिकेश पहुंच सकते हैं। राजमार्ग NH58 रिशिकेश के पास जाता है।

ऋषिकेश पहुंचने के बाद, आप यहां के प्रमुख धार्मिक स्थलों का दौरा कर सकते हैं और योग और संजीवनी आश्रम जैसे स्थलों का भी आनंद ले सकते हैं।

FAQ

  • Rishikesh में क्या-क्या देखने लायक है?
    ऋषिकेश में आप गंगा किनारे की सुंदरता, लक्ष्मण झूला, राम झूला, त्रयम्बकेश्वर मंदिर, और परमार्थ निकेतन आश्रम जैसी जगहें देख सकते हैं।
  • Rishikesh कब सबसे अच्छा समय होता है घूमने के लिए?
    ऋषिकेश के लिए सबसे अच्छा समय फरवरी से जून और सितंबर से नवंबर है। इस समय का मौसम सुहावना होता है।
  • Rishikesh में मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट कनेक्टिविटी उपलब्ध है?
    हां, Rishikesh में मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट कनेक्टिविटी अच्छी होती है। लेकिन कुछ दूरस्थ क्षेत्रों में कनेक्टिविटी कम हो सकती है।

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