Junagarh Fort जूनागढ़ किला राजस्थान के सबसे खूबसूरत और ऐतिहासिक किलों में से एक है इतिहास, घूमने की जगहें, खुलने का समय और प्रवेश शुल्क के बारे में जानें –
बीकानेर में स्थित जूनागढ़ किला, राजस्थान का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है जिसने सदियों तक कई सम्राटों के निवास स्थान के रूप में कार्य किया है। सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारत को गुलाम बनते देखा, मुगल सत्ता से लेकर अंग्रेजी सत्ता और फिर आजादी की अनेक क्रांतियों को देखा।
बीकानेर का जूनागढ़ किला संस्कृति और विरासत से भरा हुआ है। किले की दीवारें यहां के राजाओं की वीरता और पराक्रम की उन कहानियों को प्रतिबिंबित करती हैं जो कई शताब्दियों से किले की इन खूबसूरत अजेय दीवारों के बीच गूंज रही हैं।
किले की वास्तुकला पर मुख्यतः भारतीय, मुगल और अंग्रेजी शिल्प के विभिन्न रूपों के प्रभाव का है। इसलिए, इतिहास और वास्तुकला के हर प्रेमी को यह किला जरूर देखना चाहिए।
जूनागढ़ किले का इतिहास | History of Junagarh Fort
जूनागढ़ की कहानी 1478 ईस्वी में राठौड़ राजवंश से शुरू होती है। यह किला उस समय का है जब जोधपुर के राजा राव जोधा के दूसरे पुत्र राजकुमार राव बीका ने अपने बड़े भाई से रूष्ट होकर अपना एक अलग राज्य स्थापित करने का सोच लिया था।
उन्होंने राजस्थान के उत्तरी मरूस्थलीय क्षेत्र, जिसे उस समय जंगलदेश के नाम से जाना जाता था, बीकानेर शहर की स्थापना की और 1478 ईस्वी में यहां एक पत्थर के किले का निर्माण कराया जिसे बीकानेर किला और चिन्तामणी दुर्ग नाम दिया गया।
बीकानेर किला 400 वर्षों तक बीकानेर के कई राजाओं के निवास स्थान के रूप में कार्य करता रहा और राजाओं की कई पीढ़ियों ने किले परिसर में विभिन्न संरचनाएं जोड़ीं।
विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा किले पर कब्जा करने के अनेकों प्रयासों के बावजूद, कामरान मिर्जा को छोड़कर इस पर कभी कोई कब्जा नहीं कर पाया, राव जैत सिंह के शासन के दौरान 1534 ईस्वी में बाबर के बेटे कामरान मिर्जा ने बीकानेर पर हमला किया था परन्तु उसका कब्जा भी एक दिन से अधिक नहीं रह पाया।
राव जैत सिंह के लगभग एक शताब्दी बाद, राजा राय सिंह के शासनकाल (1571-1611 ई.) के दौरान, बीकानेर की राजनीति में बड़ा बदलाव आया। राजा राय सिंह, जिनके शासनकाल के दौरान जूनागढ़ किला बनाया गया था, ने मुगल आधिपत्य को स्वीकार किया और सम्राट अकबर और बाद में जहांगीर की सेना में एक जनरल के रूप में कार्य किया।
राजा राम सिंह के द्वारा लड़े गए युद्धों के लिए उन्हें मुगलों से कई पदोन्नतियां मिलीं। दिल्ली के साथ सौहार्दपूर्ण संबंधों ने शांति और कलाकारों, कवियों और संगीतकारों के विकास के लिए अनुकूल माहौल की शुरुआत की। राजा राय सिंह कला और वास्तुकला के महान संरक्षक थे और जूनागढ़ किला परिसर के भीतर की इमारतें उनकी कला प्रेमी प्रतिभा को दर्शाती हैं।
महाराजा करण सिंह ने यहां 1631 से 1639 ई. तक शासन किया। उनके बाद महाराजा अनूप सिंह 1669 ई. में बीकानेर की गद्दी पर बैठे और 1698 ई. तक शासन किया। उनका शासन काल राज्य के इतिहास में स्वर्णिम काल माना जाता है।
महाराजा गज सिंह ने 1746 ई. से 1787 ई. तक शासन किया। महाराजा सूरत सिंह 1787 से 1828 ई. तक उनके उत्तराधिकारी रहे।
1818 ईस्वी में, महाराजा सूरत सिंह के शासनकाल के दौरान, बीकानेर अंग्रेजों के आधिपत्य में आ गया। इसके बाद, महाराजाओं द्वारा जूनागढ़ किले के नवीनीकरण में बड़ी धनराशि खर्च की गई। महाराजा डूंगर सिंह ने 1872 से 1913 ई. तक शासन किया जबकि महाराजा गंगा सिंह ने 1887 से 1926 तक शासन किया।
आधुनिक जूनागढ़ किले की नींव 16वीं शताब्दी में राजा राय सिंह के द्वारा रखी गई थी। किले को शुरू में चिंतामणि दुर्ग कहा जाता था, लेकिन 20वीं शताब्दी की शुरुआत में शासक परिवार के पास ही स्थित लालगढ़ पैलेस में स्थानांतरित होने के बाद इसका नाम बदलकर “जूनागढ़” या “पुराना किला” कर दिया गया।
जूनागढ़ किले की वास्तुकला | Architecture of Junagarh Fort
संरचना | Structure of Junagarh Fort
जूनागढ़ किला, राजस्थान के उन किलों में से एक है जो पहाड़ी की चोटी पर नहीं बना है। कई शासक आए और बीकानेर पर शासन किया और किले के अंदर कई संरचनाओं का निर्माण किया। यह किला बीकानेर में एक समतल भूमि पर चतुष्कोणीय आकार में बनाया गया है।
जूनागढ़ किला 5.28 हेक्टेयर में फैला हुआ है किले की लंबाई 986 मीटर है, दीवारों की चौड़ाई 4.4 मीटर और ऊंचाई 12 मीटर है। किला सफेद संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से बने खूबसूरत मंदिरों, महलों और अन्य संरचनाओं से सुसज्जित है।
इसमें 37 बुर्जों वाली 986 मीटर लंबी दीवार है जिसका प्रयोग तोपों के माध्यम से दुश्मन पर हमला करने के लिए किया जाता है। जूनागढ़ किला, बीकानेर मूल रूप से सुरक्षा कारणों से एक गहरी खाई से घिरा हुआ था, जो अब अस्तित्व में नहीं है।
इस किले में विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का प्रतिनिधित्व करने वाली वास्तुकला की एक मिश्रित शैली है। किले में सुंदर आंगनों और बालकनियों के साथ लगभग 37 महल हैं। ये शास्त्रीय शैली के चित्रों और कलाकृतियों से सुसज्जित हैं।
जूनागढ़ किले की एक अन्य विशेषता बड़ी संख्या में बने महल हैं। किले में अनेकों प्रकार की संरचनाएं होने के कारण यह मिश्रित संस्कृति का स्मारक बन गया है। किले में पहले जो महल बने थे उनमें राजपूत वास्तुकला है। बाद में गुजरात और मुगल वास्तुकला का भी उपयोग किया गया। कुछ स्मारकों के निर्माण के लिए अर्ध-पश्चिमी वास्तुकला का भी उपयोग किया गया है।
जूनागढ़ किले के निर्माण में लाल बलुआ पत्थरों का प्रयोग किया गया है जिन्हें खारी और दुलमेरा खदानों से लाया गया था। प्रत्येक मंजिल पर अलग-अलग संख्या में महल हैं। दूसरी मंजिल में 15, तीसरी मंजिल में 8, चौथी मंजिल में 11 और पांचवीं मंजिल में पांच 5 हैं।
जूनागढ़ किले के द्वार | Junagarh Fort Gates
किले में सात द्वार हैं जिनमें से दो मुख्य प्रवेश द्वार हैं। कर्ण पोल पूर्व दिशा की ओर से जबकि सूरज पोल पश्चिम दिशा की ओर से प्रवेश द्वार है।
कर्ण पोल
करण पोल का मुख पूर्व की ओर है और इसका उपयोग किले में प्रवेश द्वार के रूप में किया जाता है। पर्यटकों को गेट पार करना पड़ता है और दूसरे गेट से वे किले में प्रवेश कर सकते हैं। करण पोल का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है। करण पोल के द्वार को हाथियों के हमले से बचाने के लिए लोहे की कीलें लगाई गई हैं।
सूरजपोल
सूरज पोल किले के पश्चिमी तरफ स्थित है और किले में प्रवेश करने का दूसरा मुख्य द्वार है। यह द्वार पीले बलुआ पत्थर से बना है जो सूर्य की किरणें पड़ने पर सोने जैसा चमकता है। गेट को हाथियों के हमले से बचाने के लिए इस गेट में भी लोहे की कीलें लगी हुई हैं। प्रवेश द्वार पर दो हाथियों की मूर्तियां बनी हुई हैं जिनके ऊपर अंकुश लिए महावत बैठे हैं। गेट का उपयोग शाही लोगों के आगमन और प्रस्थान के लिए भी किया जाता था।
दौलत पोल
दौलत पोल करण पोल के दायीं ओर स्थित है। इसकी की दीवार पर 41 हाथों के निशान देखे जा सकते हैं। ये हाथों के निशान विभिन्न राजपूत शासकों की पत्नियों के हैं जो अपने पतियों की मृत्यु के बाद अग्नि में जलकर सती हो गईं। ये निशान लाल रंग में हैं।
त्रिपोलिया पोल
मुख्य द्वार और महल को पार करने के बाद पर्यटक त्रिपोलिया पोल या ट्रिपल गेट तक पहुंचते हैं। यह द्वार शाही कक्षों तक पहुंच का मार्ग है। गेट के पास ही हर मंदिर है जहां राजघराने के लोग पूजा करते थे।
चाँद पोल और फतेह पोल किले के दो अन्य द्वार हैं।
जूनागढ़ किले मे घूमने की जगहें | Places to visit in Junagarh Fort
जूनागढ़ किले के आकर्षक महल
बीकानेर पर कई राजपूत शासकों का शासन रहा प्रत्येक राजा ने या तो अपना महल बनावाया या महल में अलग से कमरा बनवाया, कोई भी राजा अपने से पहले के राजाओं के कमरे में नहीं रहा यही कारण है कि जूनागढ़ में कई महलों का निर्माण किया गया है।
कर्ण महल
कर्ण महल का निर्माण सम्राट कर्ण सिंह ने 1680 में मुगल सम्राट औरंगजेब पर अपनी जीत के उपलक्ष्य में करवाया था। इसकी छत में 22 कैरेट सोने का उपयोग किया गया है, यह बीकानेर का किला के सबसे भव्य महलों में से एक है, जो बगीचों, रंगीन कांच की खिड़कियों और सुंदर बालकनियों से सुसज्जित है। लाल और सुनहरे बलुआ पत्थर से बना, कर्ण महल समृद्धि और विलासिता से परिपूर्ण है।
चन्द्र महल
बीकानेर के जूनागढ़ किले के महलों में चन्द्र महल सबसे भव्य और सुंदर है। चन्द्र महल में सोने की परत चढ़ाए गए देवताओं की मूर्तियां हैं। महल में कई रत्न जड़ित पेंटिंग भी हैं जिनमें कीमती पत्थर लगे हुए हैं। शयनकक्ष इस प्रकार बनाया गया था कि दर्पणों की मदद से राजा राजा बिस्तर से ही कमरे में प्रवेश करने वाले किसी भी व्यक्ति अथवा घुसपैठिए को अंदर आते हुए देख सके। दर्पणों का ऐसा सुनियोजन आश्चर्यचकित कर देने वाला है।
अनूप महल
अनूप महल का निर्माण राजा अनूप सिंह ने करवाया था। इसे पहले कर्ण महल कहा जाता था लेकिन अनूप सिंह ने इसमें लकड़ी की छतों के साथ-साथ दर्पण जड़े हुए कई कमरे बनवाए। अनूप महल राज्य के प्रशासनिक मुख्यालय के रूप में कार्य करता था। इसमें सुंदर लकड़ी की छतें हैं जिन पर दर्पण, इतालवी टाइलें और कला से सजी जालीदार खिड़कियां और बालकनियां हैं।
बादल महल
बादल महल, अनूप महल का हिस्सा है और इसमें मौजूद शानदार चित्रों इसे अनूप महल से अलग बनाते हैं। इसके चित्रों में राजा को लंबी पगड़ी पहने हुए दिखाया गया है। राजा के प्रति सम्मान दिखाने के लिए आरी, कील और तलवारों पर खड़े लोगों की पेंटिंग शामिल हैं। दीवारों पर भगवान कृष्ण और राधा की पेंटिंग हैं जो बादलों के बीच बैठे हैं।
फूल महल
फूल महल का निर्माण राजा राय सिंह ने करवाया था और इसे किले का सबसे पुराना हिस्सा माना जाता है। महल को फूलों के गुलदस्ते, गुलाब के सुगंधित फूलों से सजाया गया है। महल की दीवारों पर कांच और प्लास्टर का काम किया गया है तथा इसे मुगल शैली में बनाया गया है।
जूनागढ़ किले के भव्य मंदिर
किले में कई मंदिर हैं जो हिंदू और जैन धर्म से संबंधित हैं। इन मंदिरों का निर्माण 16वीं शताब्दी में राजपूत शासकों द्वारा कराया गया था।
हर मंदिर
हर मंदिर एक ऐसा मंदिर था जहां राजघराने लोग पूजा करने आते थे। वे यहीं दशहरा और गणगौर के त्यौहार मनाए जाते थे। दशहरे के त्यौहार के दौरान, शाही लोग हथियारों और घोड़ों की पूजा करते थे। इस मंदिर में पूजे जाने वाले देवता लक्ष्मी नारायण थे जो भगवान विष्णु और उनकी पत्नी लक्ष्मी का संयोजन हैं। इनके अलावा, शाही परिवार के जन्मदिन और विवाह समारोह आदि उत्सवों का आयोजन भी यहीं किया जाता था।
रतन बिहारी मंदिर
इस मंदिर को कृष्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है और इसका उपयोग मुख्य रूप से भगवान कृष्ण की पूजा करने के लिए किया जाता था। इस मंदिर का निर्माण 1846 में बीकानेर के 18वें शासक ने करवाया था। इस मंदिर का निर्माण इंडो-मुगल वास्तुकला के आधार पर किया गया था और इसे बनाने के लिए सफेद संगमरमर का उपयोग किया गया था।
गज मंदिर
गज मंदिर एक खूबसूरत मंदिर है जिसकी दीवारों को खूबसूरती से सजाया गया है। दीवारों पर खूबसूरत चित्रकारी के साथ-साथ नक्काशी भी है। मंदिर के पैनल भी बेहद खूबसूरत हैं। गज मंदिर का निर्माण महाराजा गज सिंह ने करवाया था और वह यहां अपनी पत्नियों फूल कंवर और चांद कंवर के साथ रहा करते थे।
संग्रहालय
उत्कृष्ट महलों के अलावा, किले में एक संग्रहालय भी है, जिसकी स्थापना 1961 ई. में बीकानेर राज्य के अंतिम महाराजा डॉ. करणी सिंह द्वारा की गई थी। संग्रहालय में बीकानेर में शासन करने वाले और निवास करने वाले राजाओं के जीवन को दर्शाने वाली पेंटिंग, राजाओं के कपड़े गहने और अन्य कलाकृतियों का संग्रह है यह संग्रहालय उत्तर-मध्यकालीन हथियारों और कवच के संग्रह के लिए विशेष रूप से लोकप्रिय है।
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अजंता की गुफाएं
जूनागढ़ किले के आसपास के पर्यटक स्थल | Tourist Places Around Junagarh Fort
जूनागढ़ किले का दौरा करने के अलावा, पर्यटक विभिन्न अन्य ऐतिहासिक स्मारकों और मंदिरों, चिड़ियाघर, झीलों, उद्यान आदि जैसे कई आनन्द दायक स्थानों का भी दौरा कर सकते हैं। इनमें से कुछ स्थान नीचे दिए हुए हैं –
लालगढ़ महल
लालगढ़ महल का निर्माण राजा गंगा सिंह के लिए किया गया था जिन्होंने 1887 से 1926 तक बीकानेर पर शासन किया था। महल में इस्तेमाल की गई स्थापत्य शैली राजपूत, मुगल और यूरोपीय हैं। इस महल का नाम गंगा सिंह के पिता महाराजा लाल सिंह के नाम पर रखा गया था। इसमें गंगा सिंहजी चैरिटेबल ट्रस्ट नाम से एक ट्रस्ट खुला है और महल का एक हिस्सा ट्रस्ट के कार्यालय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। एक अन्य हिस्सा होटल के रूप में उपयोग करने के लिए भी दिया जाता है और होटल से होने वाली आय का उपयोग ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
शिव बाड़ी मंदिर
शिव बाड़ी (बारी) मंदिर 19वीं शताब्दी में बनाया गया था और इसका निर्माण लाल बलुआ पत्थर का उपयोग करके किया गया है। यहां भगवान शिव की पूजा की चतुर्मुखी प्रतिमा के साथ नंदी की प्रतिमा भी यहां स्थापित है। भगवान की मूर्ति काले संगमरमर से बनी है और नंदी को इस तरह स्थापित किया गया है कि यह शिव लिंग के ठीक सामने हैं। मंदिर का निर्माण राजस्थानी वास्तुकला पर आधारित है।
कोडमदेसर मंदिर
यह मंदिर बीकानेर शहर से 24 किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण बीकानेर के संस्थापक राव बीका सिंह ने करवाया था। यह मंदिर जिस देवता को समर्पित है, वह भगवान भैरव हैं जिनकी यहां पूजा की जाती है। मंदिर का फर्श संगमरमर से बना है और इसके ऊपर कोई छत नहीं है। नव-विवाहित जोड़े और नवजात शिशुओं को भगवान भैरव का आशीर्वाद पाने के लिए यहां लाया जाता है।
लक्ष्मीनाथ मंदिर
लक्ष्मीनाथ मंदिर, बीकानेर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर जूनागढ़ किले से 4 किमी दूर है। मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। जन्माष्टमी, निर्जला एकादशी, रामनवमी, दिवाली और गीता जयंती के त्योहार के दौरान यहां बड़ी संख्या में भक्त आते हैं।
लक्ष्मी निवास पैलेस
लक्ष्मी निवास पैलेस का निर्माण गंगा सिंह ने 1898 से 1902 के बीच इंडो सारसेनिक वास्तुकला के आधार पर करवाया था यह लाल बलुआ पत्थर से बना है और बीकानेर में एक लोकप्रिय स्थान है। महल को अब एक होटल के रूप में संचालित किया जाता है और इसका प्रबंधन गोल्डन ट्रायंगल फोर्ट एंड पैलेस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाता है।
इनके अतिरिक्त आप इन स्थानों पर भी घूम सकते हैं –
गजनेर झील
गजनेर पैलेस
गजनेर वन्य जीव अभ्यारण
करणी माता मंदिर
कोलायत मंदिर
कोलायत झील
देवी कुंड सागर
रामपुरिया हवेली
सादुल सिंह संग्रहालय
भांडासर जैन मंदिर
ऊंट अनुसंधान केंद्र
जूनागढ़ किले के बारे में रोचक तथ्य Interesting facts of Junagarh Fort
- जूनागढ़ किले के निर्माण में 16 पीढ़ियों का योगदान रहा, 1589 से लेकर 1937 अर्थात 348 वर्षों तक इसमें निर्माण कार्य चलता रहा।
- जूनागढ़ राजस्थान का पहला किला है जहां पर सबसे पहले बिजली पहुंचाई गई तथा इलेक्ट्रिक लिफ्ट लगाई गई।
- महाराजा गंगा सिंह जी 7 वर्ष की उम्र में जूनागढ़ बीकानेर के राजा बने, और इनका कार्यकाल 55 वर्ष 5 महीने और 2 दिन तक रहा।
- जूनागढ़ में राजतिलक कर्ण महल में 350 किलो चांदी के सिंहासन पर किया जाता था।
- कर्ण महल की छत बनाने में 22 कैरेट सोने से बनाई गई है।
- जूनागढ़ के अनूप महल में 65 किलो का चांदी का दरवाजा लगा हुआ है।
जूनागढ़ घूमने का सबसे अच्छा समय Best time to visit Junagarh Fort
किसी भी स्थान पर जाने का सबसे अच्छा समय वह है जब आप मौसम की स्थिति के प्रभाव के बिना इसे देखने में पूरी तरह से सहज महसूस कर सकें। जूनागढ़ किला, बीकानेर थार रेगिस्तान के मध्य में स्थित है, जहां गर्मियों का मौसम अत्याधिक थका देने वाला होता है। इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि पर्यटकों को नवंबर से फरवरी के ठंडे महीनों के दौरान जूनागढ़ किले का दौरा करना चाहिए।
जूनागढ़ किला, बीकानेर कैसे पहुँचें? How to reach Junagarh Fort Bikaner?
भारत के किसी भी कोने से बीकानेर पहुंचने के लिए सड़क मार्ग से यात्रा करना सबसे अच्छा विकल्प है। RSRTC की बसें जैसलमेर, उदयपुर, अजमेर और दिल्ली जैसे शहरों से बीकानेर तक चलती हैं।
हवाई मार्ग से शहर की यात्रा करना भी सुविधाजनक है। निकटतम हवाई अड्डा जोधपुर है, जहां मुंबई और दिल्ली से कई जहाज उड़ान भरते हैं।
बीकानेर में जूनागढ़ किला तक बीकानेर के सभी स्थानों से आसान पहुंच है। बीकानेर शहर के केंद्र में स्थित, किले तक कार, बस, कैब या यहां तक कि ऑटो रिक्शा द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। शहर के विभिन्न स्थानों से किले तक सार्वजनिक बसें भी चलती हैं।
जूनागढ़ किले के खुलने का समय और प्रवेश शुल्क Junagarh Fort opening time & Entry fee
किला सप्ताह के सभी दिन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।
जूनागढ़ किले में प्रवेश शुल्क Junagarh Fort entry fee or ticket price
शुल्क | जूनागढ़ किला | संग्रहालय |
---|---|---|
भारतीय | 100 | 50 |
भारतीय बच्चे | 50 | 20 |
विदेशी | 400 | 200 |
विदेशी बच्चे | 200 | 100 |
फोटोग्राफी शुल्क | 100 | 50 |
विडिओग्राफी शुल्क | 200 | 100 |
इनके बारे में भी पड़े >>> भीमकुण्ड
भेड़ाघाट
महेश्वर
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
Q1: क्या जूनागढ़ किला किस दिन खुलता है?
जूनागढ़ किला जनता के लिए सप्ताह के सभी दिन खुला रहता है।
Q2: जूनागढ़ किला देखने का सबसे अच्छा समय क्या है?
जूनागढ़ किले की यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक सर्दियों के महीनों के दौरान होता है, जब मौसम सुखद होता है और दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए उपयुक्त होता है।
Q3: क्या पर्यटक किले के अंदर तस्वीरें ले सकते हैं?
हां, पर्यटकों को व्यक्तिगत उपयोग के लिए किले के अंदर तस्वीरें लेने की अनुमति है।
Q4: क्या जूनागढ़ किले के साथ आसपास घूमने लायक अन्य जगहें हैं?
बीकानेर में देखने लायक कई अन्य आकर्षण हैं, जैसे लालगढ़ पैलेस, करणी माता मंदिर और राष्ट्रीय ऊंट अनुसंधान केंद्र आदि।