भीमकुंड | Bhimkund |भीमकुंड का इतिहास और प्रचलित किंवदंतियां | भीमकुंड की चौंकाने वाली बातें | Interesting facts about Bhimkund
भारतवर्ष की हृदय स्थली मध्यप्रदेश की पावन धरा बुंदेलखंड की राजधानी कभी छतरपुर हुआ करती थी। छतरपुर वर्तमान में बुंदेलखंड के केंद्र में जिले के रूप में स्थित है और इसी छतरपुर जिले के मनमोहक परिदृश्यों के बीच स्थित है रहस्यमयी भीमकुंड। भीमकुंड भारत की उन रहस्यमयी जगहों में से एक है जिनके रहस्य को कोई आज तक सुलझा नहीं पाया है।
भीमकुंड कोई साधारण कुण्ड नहीं है एक ऐसी रहस्यमयी सनातन धरोहर है जिसके आगे विज्ञान को भी घुटने टेकने पड़ते हैं, एक ऐसी सनातन धरोहर जो सम्बंध रखती है हिन्दू पौराणिक इतिहास महाभारत के महानायक महाबली भीम से। एक ऐसा रहस्यमयी कुण्ड जिसके रहस्य को जिसने भी सुलझाने की जितनी कोशिश की वह उतना ही और उलझता चला गया।
भीमकुंड का इतिहास और प्रचलित किंवदंतियां : History and popular legends of Bhimkund
इतिहास (History)
कहा जाता है भीमकुंड महाभारत काल से अस्तित्व में आया, महाभारत काल में यहाँ बियाबान जंगल हुआ करता था। जब पांडव अज्ञातवास के दौरान यहाँ पर आए तब माता द्रौपदी को प्यास लगी, आस-पास के बियाबान जंगल मे खोजने पर जब कहीं पानी नहीं मिला तब भीम ने ज्योतिष विद्या में पारंगत नकुल से पानी देखने को कहा, तब नकुल जी ने स्थान चिन्हित करते हुए कहा कि भैया इस स्थान पर पानी है परन्तु अथाह गहराई पर है। इसके बाद भीम ने उस स्थान पर अपनी गदा से प्रहार किया तब अनन्त गहराई अपने अंदर समेटे एक जलकुंड प्रकट हुआ जिससे द्रौपदी सहित सभी पांडवों ने अपनी प्यास बुझाई और इसी जलकुंड का नाम पड़ा भीमकुंड।
अगर बात की जाए इसके नीले पानी की तो जनश्रुतियों के अनुसार जब महाबली भीम ने इस स्थान पर प्रहार किया तब जमीन पाताल तक टूट गई और महबली भीम के पराक्रम से प्रसन्न होकर स्वयं भगवान विष्णु जल के रूप मे प्रकट हुए। कुछ लोग इसे भगवान विष्णु के क्षीरसागर से जोड़ते हैं जिसके अनुसार यहाँ क्षीरसागर से पानी आता है, कुछ लोगों के मुताबिक यहाँ पाताल लोक से पानी आता है तो वहीं कुछ जनश्रुतियों के अनुसार यह कुंड स्वयं क्षीरसागर का एक हिस्सा है।
किवदंतियाँ (legends)
एक प्रचलित किवदंती के अनुसार प्राचीन समय में यहाँ रहने वाले एक साधु महाराज ने एक लकड़ी पर अपना नाम और पता लिखकर भीमकुंड की गहराई में छोड़ा था जिसे उन्होंने कुछ समय बाद प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर पाया था, साधु महाराज बताया करते थे कि भीमकुंड का संबंध सीधा प्रयागराज से है।
भीमकुंड की चौंकाने वाली बातें : Interesting things of Bhimkund
भीमकुंड का पानी (Bhimkund Water)
भीमकुंड आने पर जो एक बात सबको चौकती है जिसे देखकर हर कोई हैरान रह जाता है वह है भीमकुंड का नीला पानी, बिल्कुल समुद्र के पानी की तरह नीला, साफ और शीशे तरह आर-पार दिखने वाला पारदर्शी पानी।
भीमकुंड की गहराई (Depth of Bhimkund)
जब आप भीमकुंड किनारे पर बनी सीड़ीनुमा चट्टानों पर खड़े होकर इसके जल को देखते हैं तब आपकी नजर बिना किसी अवरोध के इसकी अनंत गहराई में कहीं ओझल हो जाती है। पानी इतना साफ है की कई फुट की गहराई साफ झलकती है भीमकुंड का जल इतना साफ और नीला क्यों है।
भीमकुंड का समुद्र से सम्बंध (Bhimkund’s relation with sea)
इसे लेकर कहा जाता है की ये कहीं न कहीं समुद्र से जुड़ा है लेकिन ये कैसे सम्भव है इसका जवाब किसी के पास नहीं, मध्यप्रदेश के छतरपुर से बंगाल की खाड़ी 1500 किलोमीटर दूर है जबकि अरब सागर की दूरी 2200 किलोमीटर से भी ज्यादा है
प्राकृतिक आपदाओं के संकेत (Signs of natural calamities)
जब भी कोई भूकंप या सुनामी जैसी कोई प्राकृतिक आपदा आने वाली होती है तो भीम कुंड से उसके संकेत पहले ही मिल जाते हैं। जब भी कोई आपदा आने वाली होती है भीमकुंड के पानी में हलचल शुरू हो जाती है पानी में बलबूचे आने लगते हैं और जब आने वाली आपदा अत्यंत विनाशकारी होती है तब भीम कुंड के पानी में लहरें तक उठने लगती हैं
सीधी रेखा का रहस्य (Secret of straight line)
भीमकुंड, अर्जुन कुंड, पाताल गंगा, पांडव गुफाएं, गुप्त गोदावरी, और त्रिवेणी संगम एक ही सीध में स्थित हैं, अगर मानचित्र पर इन स्थानों को देखा जाए तो ये सभी एक सीधी रेखा मे नजर आते हैं।
जब हम इन स्थानों पर नजर डालते हैं तो और भी कई नए-नए आश्चर्य देखने को मिलते हैं। कुछ समानताएं भी देखने को मिलती हैं परंतु भीमकुंड जैसी गहराई देखने को नहीं मिलती।
नीले पानी से भी गहरा है कुंड की गहराई का रहस्य कई सारे न्यूज चैनलों, डिस्कवरी चैनलों, वैज्ञानिकों और कई बड़ी संस्थाओं ने कुंड की गहराई नापने की कोशिश की, गोताखोरों को भेजा लेकिन सब के सब नाकाम रहे।
कोई कुछ भी कहे परन्तु भीमकुंड की गहराई कितनी है? क्या भीमकुंड का सम्बन्ध समुद्र से है? भीमकुंड आने वाली आपदाओं के संकेत कैसे और क्यों देता है? इन सवालों के जवाब आज भी किसी के पास नहीं।
4 thoughts on “भीमकुंड | Bhimkund”