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सरिता सिन्धू के बारे में :

पाली संस्कृत से उपजी मैं सिंधु की सरिता हिन्दी हूँ।
भारतीय संस्कृति और सभ्यता के माथे की बिन्दी हूँ।।

SaritaSindhu
सरिता सिन्धु

“सरिता सिन्धू” में आपका स्वागत है! यहां, हम आपको अपने हिन्दी ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से विभिन्न स्थानों की समृद्ध विरासत और जीवंत संस्कृतियों के नजदीक लाने का प्रयास करते हैं। तो शामिल हो जाइए हमारे साथ भारत के विभिन्न क्षेत्रों की यात्रा में यहां हम आकर्षक स्थानों का पता लगाएंगे, उनके वैभव और इतिहास की खोज करेंगे, और प्राचीन भारत की अनूठी संस्कृति को नजदीक से देखने का प्रयास करेंगे।

मेरा मानना है कि प्रत्येक स्थान के पास बताने के लिए अपनी कहानी है, और इन कहानियों को हिन्दी में साझा करके, मेरा लक्ष्य भाषा बाधाओं के बीच की खाई को पाटना और इतिहास और संस्कृति को सभी हिन्दी भाषी व्यक्तियों के लिए सुलभ बनाना है।

कहानी कहने के गहरे जुनून और हिन्दी के प्रति प्रेम के साथ, हमारी विविध दुनिया के छिपे हुए स्थानों को प्रदर्शित करने के लिए मैं निकल पड़ा हूं एक आकर्षक यात्रा पर।

रहस्य से भरे प्राचीन खंडहरों से लेकर हलचल भरे शहरों तक, हमारे “भारत” का हर एक कोना अपना अनोखा आकर्षण रखता है। सावधानीपूर्वक किए गए शोध और मनोरम आख्यानों के माध्यम से, मैं इन स्थानों के सार को पकड़कर उन्हें राजभाषा हिन्दी भाषा में आपके सामने प्रस्तुत करने का प्रयास करता हूं।

चाहे आप इतिहास के प्रति उत्साही हों और अतीत के रहस्यों को उजागर करना चाहते हों,‌ प्रकृति के सुंदर परिदृश्य देखने के इच्छुक हों अथवा एक यात्री हों जो अपनी सूची में शामिल करने के लिए नई जगहों की तलाश में हों, या फिर भारतवर्ष के बारे में जानने उत्सुक हों जिसमें हम रहते हैं, तो फिर “सरिता सिन्धू” में आपके लिए कुछ न कुछ है।

मैं आपको “सरिता सिन्धू” के बढ़ते परिवार का सक्रिय हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता हूं। अपने विचार साझा करें, चर्चाओं में शामिल हों, जुड़े रहें, जिज्ञासु बने रहें, और आइए भारत के इतिहास और संस्कृति की खोज जारी रखें।

मेरे बारे में :

मेरा नाम “नीरज कुशवाहा” और मैं मध्यप्रदेश में बुन्देलखण्ड के छोटे से गांव बदौना का रहने वाला हूँ। मैंने Maharaja Chhatrasal Bundelkhand University से बी.ए. (Art) में स्नातक की है। वैसे कक्षा बारहवीं तक मेरा विषय Science रहा परंतु शिक्षकों की कमी के कारण Art & Science की combined कक्षाओं में बैठना पड़ा और उसी समय इतिहास, भूगोल में गहरी रुचि आई और फिर स्नातक करने के लिए मैंने “इतिहास” विषय पसंद किया और अब निकल पड़ा हूं भारत के इतिहास और संस्कृति की खोज में। और कोशिश कर रहा हूँ भारत के इतिहास और संस्कृति को आप तक पहुंचाने की।