क्योटी जलप्रपात : भारत की हृदयस्थली मध्य प्रदेश रीवा जिले मे स्थित है यह मध्य प्रदेश का चौथा और भारत का 24 वां सबसे ऊंचा झरना है। इसे केवटी जलप्रपात भी कहा जाता है। क्योटी जलप्रपात रीवा के मुख्य शहर से लगभग 40 किमी की दूरी पर है।
तमसा नदी की सहायक, महाना नदी जब रीवा पठार से नीचे उतरकर एक गहरी खाई में गिरती है तो एक सुंदर झरने का रूप धारण कर लेती है और इसी झरने को क्योटी झरना कहा जाता है।
वर्ल्ड वॉटरफॉल डेटाबेस के अनुसार क्योटी झरने की कुल ऊंचाई 130 मीटर (427 फीट) है इस खूबसूरत झरने को देखने के लिए रीवा और उसके आस-पास के क्षेत्रों से पर्यटक निरंतर आते रहते हैं यहां सबसे ज्यादा पर्यटक प्रयागराज से आते है।
झरने के नीचे जाने के किए रास्ता बड़ा कठिन है यह चट्टानों के बीच से होकर जाता है और आस-पास जहरीले सांपों का खतरा भी बना रहता है।
प्रकृति प्रेमियों और एडवेंचर्स दोनों के लिए यह जलप्रपात एक बेहतरीन जगह है, एडवेंचर्स चाहने वाले यहाँ तक पहुंचने के लिए पहाड़ी रास्तों का भी अनुसरण कर सकते हैं।
क्योटी जलप्रपात के आस-पास घूमने की जगहें | Place to visit near Keoti Waterfall
क्योटी जलप्रपात से थोड़ों ही दूर पूर्व दिशा की ओर क्योटी किला स्थित है जिसका निर्माण 15 वीं शताब्दी में रीवा के राजा शालिवाहन सिंह के पुत्र नागमल देव सिंह ने करवाया था। यह किला मुगलों से लेकर अंग्रेजी शासन तक की कई ऐतिहासिक और क्रान्तिकारी घटनाओं का साक्षी रहा है।
1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों से विद्रोह कर रीवा के सरदार ठाकुर रणमत्त सिंह ने अपने साथियों के साथ क्योटी के इसी किले में अपना पड़ाव डाला परंतु अंग्रेजों को बात की खबर लग जाती है और फिर अंग्रेज इस किले को चारों और से घेर लेते हैं तब ठाकुर रणमत्त सिंह अपने साथियों के साथ अंग्रेजों पर काल बनकर टूट पड़ते हैं
अंग्रेजों और ठाकुर रणमत्त सिंह के बीच भयंकर युद्ध होता है जिसमें ठाकुर रणमत्त सिंह अंग्रेजों के जनरल (सेनानायक) को मार देते हैं तथा बचे हुए अंग्रेजों को अपने पराक्रम से भागने पर मजबूर कर देते हैं।
इसी स्थान पर नागमल देव ने टीपू सुल्तान को हराया था। और जीत की खुशी मे दो विजय स्तंभों का निर्माण करवाया था जिन्हे वर्ष 2002 में असामाजिक तत्वों द्वारा तोड़ दिया गया।
चेतावनी : क्योटी का किला सुरक्षा की दृष्टि से बिल्कुल सेफ नहीं है यह किला एकान्त में बने होने के कारण असामाजिक तत्त्वों का अड्डा बन चुका है। यहां हमेशा ही चोर-उचक्के और नशेड़ी बने रहते हैं कब कौन सी बड़ी दुर्घटना हो जाए कहा नहीं जा सकता, प्रसाशन को इसका जिम्मेदार होना पड़ेगा।
क्योटी जलप्रपात घूमने का सबसे अच्छा समय | Best time to visit Keoti Waterfall
यहां आने का सबसे अच्छा समय जुलाई से जनवरी के बीच का है, जनवरी से झरने का पानी कम होने लगता है पतझड़ के मौसम मे आस-पास की हरियाली सूख जाती है पेड़ों के पत्ते भी झड़ जाते हैं मार्च आते-आते थका देने वाली गर्मी, लू और गर्म हवाओं से हाथापाई होने लगती है, इसलिए बरसात और ठंड का मौसम यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा है।
क्योटी जलप्रपात तक कैसे पहुचें | How to reach Keoti Waterfall
केवटी जलप्रपात मध्य प्रदेश के रीवा शहर 40 किलोमीटर दूर है आप रीवा शहर से इस जलप्रपात तक अपने वाहन से आसानी से आ सकते हैं। क्योटी वॉटरफॉल से लगभग 12 किलोमीटर दूर से मुख्य हाईवे सड़क निकली है जो देश के हर कोने से जुड़ी है आप आराम से अपने वहाँ से या सकते हैं।
क्योटी जलप्रपात तक पहुंचने का नक्शा | Keoti Waterfall Map
यात्रा में कौन सी सावधानियां रखें
- क्योटी वॉटरफॉल बहुत ही खूबसूरत है, बारिश में और भी ज्यादा सुन्दर दिखने लगता है परंतु सेफ्टी के लिए कोई इन्तजाम नहीं है, ना ही रेलिंग लगी है। यहां हर साल कई दुर्घटनाएं होती रहती हैं फॉल के जादा पास ना जाए, और ना ही पानी में पानी के तीव्र बहाव में कई लोग बह जाते हैं।
- खाने-पीने का समान अपने साथ लेकर आएं, क्योटी जलप्रपात के आस-पास कोई दुकाने नहीं हैं।
- यहां बंदरों की संख्या भी बहुत अधिक है अपने समान का ध्यान रखें, खासकर खाने-पीने के समान का।
- क्योटी झरने के नीचे न जाएं और अगर जाते हैं तो जहरीले सांपों से सावधान रहें और अगर तैरना नहीं आता तो जलकुंड से थोड़ा दूर रहें, काई के कारण फिसलन बहुत अधिक होती है और यहां आपको बचाने वाला कोई भी नहीं होता है।
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FAQ (अक्सर पूछें जाने वाले प्रश्न)
- क्योटी जलप्रपात में कौन सी नदी बहती है?
क्योटी जलप्रपात मोहना नदी के ऊंचाई से गिरने पर बनता है। - मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा जलप्रपात कौन सा है?
बहुती जलप्रपात मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा झरना है - केवटी झरना कहाँ स्थित है?
केवटी जलप्रपात भारत के मध्य प्रदेश के रीवा जिले के केवटी में स्थित है।
निष्कर्ष
क्योटी झरना बहुत ही खूबसूरत झरना है दुनिया की हलचल से दूर मोहना नदी पर स्थित यह झरना पर्यटकों को असीम आनन्द प्रदान करता। खूबसूरत होने के साथ-साथ यह जगह थोड़ी खतरनाक भी है असामाजिक तत्वों की सक्रियता के कारण यहां की यात्रा मे थोड़ा सावधान रहने की आवश्यकता होती है।
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