एलोरा की गुफाएं (Ellora Caves in Hindi) : एलोरा की गुफाओं का इतिहास, नामकरण, कारीगरी, स्थापत्य कला, मूर्तिकला, चित्रशैली, विस्तार इत्यादि….
भारत के पश्चिमी तट पर लगभग 1600 किलोमीटर लंबी विश्व विरासत स्थल घोसित पश्चिमी घाट पर्वत श्रंखला फैली हुई है। यह पर्वत श्रंखला गुजरात, महगराष्ट्र के सीमावर्ती क्षेत्रों से शुरू होकर गोवा, कर्नाटक, केरल व तमिलनाडु तक फैली हुई है। इन पर्वत श्रंखलाओं को महाराष्ट्र में सह्याद्री के नाम से जाना जाता है। छत्रपती संभाजी नगर में इन्ही दक्कन ट्रैप (Deccan trap) की ज्वालामुखीय बेसाल्टिक चट्टानों को काटकर विश्व विरासत स्थल घोसित अजंता व एलोरा की अद्भुत गुफाओं का निर्माण किया गया है। अजंता से एलोरा की दूरी लगभग 100 किलोमीटर है। एलोरा की तुलना में अजंता की गुफ़ाएं अधिक प्राचीन हैं।
अजंता और एलोरा की गुफाओं में अन्तर : Difference between Ajanta and Ellora caves
अजंता की गुफ़ाएं केवल बौद्धों से सम्बंधित हैं, वहीं दूसरी ओर एलोरा की गुफाएं हिन्दू, जैन तथा बौद्ध तीनों से सम्बंधित हैं।
अजंता और एलोरा की गुफाओं का एक प्रमुख अंतर पर्वत की ढलान हैं। अजंता की गुफाएं सीधी खड़ी ढलान पर हैं जबकि एलोरा की गुफाएं पर्वत के तिरछे ढलान पर हैं। यह एलोरा में बने प्रांगणों की भी उपस्थिति से भी प्रदर्शित होता है जो अजंता में नहीं पाए जाते। अजंता की गुफाएं एक अथवा दो मंजिला हैं जबकि एलोरा में कुछ तीन मंजिला गुफाएं भी हैं।
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छत्रपती संभाजी नगर : Chhatrapati Sambhaji Nagar
संभाजी नगर भारत का एक ऐसा पर्यटन जिला है जिसके पास अजंता व एलोरा दो विश्व धरोहर स्थल हैं। यह वह देवभूमि है जिसने मुसलमानों के आगमन से पूर्व सातवाहन, वकाटक और चालुक्य जैसे कई महान राजवंशों के उत्थान और पतन को देखा। प्राचीन प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र पैठन इसी क्षेत्र में स्थित था, कालांतर में मलिक अंबर ने इस क्षेत्र में खड़की नामक शहर की स्थापना की उसके बेटे फतेह खान ने इसका नाम बदलकर फतहनगर कर दिया बाद में जब क्रूर शासक मुगल औरंगजेब दक्कन का वायसराय बना तब उसने इसका नाम बदलकर औरंगाबाद कर दिया जो कि अब संभाजी नगर है। संभाजी नगर में बीवी का मकबरा है जिसे जिसे क्रूर शासक औरंगजेब ने अपनी बीवी दिलरस बानो बेगम या राविया बीवी की याद में ताजमहल की फूहड़ नकल कर बनवाया था।
संभाजी नगर से एलोरा गुफाओं की दूरी करीब 32 किलोमीटर है। रास्ते में ऐतिहासिक देवगिरी का किला पड़ता है, इस किले का निर्माण यदुवंशी राजाओं ने करवाया था जब मोहम्मद बिन तुगलक गद्दी पर बैठा था तब उसने अपनी राजधानी दिल्ली से बदलकर देवगिरी कर दी थी, और देवगिरी का नाम बदलकर दौलताबाद कर दिया था हालांकि उसका यह प्रयोग असफल रहा था और उसे पुनः दिल्ली को राजधानी बनाना पड़ा था। देवगिरी किले के निकट ही क्रूर शासक औरंगजेब का मकबरा है जिस से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर एलोरा की गुफाएं उपस्थित हैं।
एलोरा की गुफाओं का नामकरण : Naming of Ellora Caves
एलोरा की गुफाओं का निर्माण सहयाद्री पर्वत श्रृंखलाओं की चरणाद्रि पहाड़ियों को काटकर किया गया है। एलोरा का प्राचीन नाम एल्लूर अथवा ऐलापुर था स्थानीय लोग एलोरा की गुफाओं को वेरुल्लेनी नाम से पुकारते हैं वेरूल्ल स्थानीय गांव का नाम है जबकि मराठी में लेनी का अर्थ गुफा होता है।
एलोरा की गुफाओं की अद्भुत कारीगरी : Amazing workmanship of Ellora caves
एलोरा दुनिया की सबसे बड़ी rock-cut गुफाओं में से एक है। यह दक्षिण विधि का सर्वोत्तम उदाहरण हैं, दक्षिण विधि उसे कहते हैं जब आप किसी चीज को काटकर एक निश्चित आकार प्रदान करते हैं। एलोरा की गुफाओं के पहाड़ बेसाल्ट लावा चट्टानों से बने हुए हैं, यह पत्थर काफी मजबूत होते हैं। अतः इन्हें तराशना ग्रेनाइट की तुलना में आसान है जबकि मजबूती में ये ग्रेनाइट के समान ही होते हैं। हालांकि ये उन कारीगरों की ही कुशलता है जिन्होंने इन पत्थरों को अचूक कुशलता से काटा। अगर उनसे मूर्तियों को तराशने में कोई भी भूल हो जाती या कोई हिस्सा टूट जाता, तो उसे ठीक करना असंभव था क्योंकि एलोरा के मंदिरों में चुनाई वाले मंदिरों की तरह कोई जोड़ नहीं हैं।
एलोरा की गुफाओं का विस्तार और उनकी संख्या : The extent and number of Ellora caves
एलोरा के इस क्षेत्र में आस-पास लगभग 100 गुफाएं फैली हुई हैं। किंतु इनमें से केवल 34 गुफाएं ही पर्यटकों के लिए खुली हुई हैं। ये गुफा समूह करीब 5वीं से 11वीं शताब्दी के मध्य निर्मित किए गए। इन 34 गुफाओं में गुफा संख्या 1 से 12 बौद्ध, 13 से 29 हिन्दू तथा 30 से 34 गुफाएं जैनों से संबंधित हैं। अतः यहां 12 बौद्ध 17 हिन्दू एवं 5 जैन गुफाएं हैं, जो एक सीधी रेखा में स्थित हैं। बौद्ध गुफाएं दक्षिणी सिरे पर, हिन्दू गुफाएं मध्य में व जैन गुफाएं उत्तरी सिरे पर स्थित हैं। हिंदू गुफाओं के लिए विद्वानों द्वारा ब्राह्मणी गुफा अथवा हिन्दू गुफा शब्द का प्रयोग किया जाता है।
एलोरा गुफाओं की स्थापत्य शैली : Architectural style of Ellora caves
एलोरा गुफाओं का निर्माण विदर्भ, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के विभिन्न शिल्प संघों द्वारा किया गया। स्थापत्य शैली एवं अलंकरण से पता चलता है कि इन गुफाओं के कारीगरों ने व्यक्तिगत, धार्मिक संबद्धता के अनुसार कार्य ना करके एक स्थापत्य कला विशेषज्ञ के रूप में कार्य किया, इससे पता चलता है कि उस समय के लोग एक दूसरे के मतों का कितना आदर व सम्मान करते थे। एलोरा की बौद्ध, हिन्दू, व जैन गुफाओं में से सबसे पहले हिन्दू फिर बौद्ध एवं बाद में जैन गुफाओं का निर्माण किया गया।
एलोरा गुफाओं की मूर्तिकला : Sculpture of Ellora Caves
एलोरा में मूर्तिकला का शानदार प्रदर्शन देखने मिलता है। एलोरा की प्रतिमाएं भारी व अति विशाल हैं। मूर्तियों में देवी देवताओं की भाव-भंगिमाओं को बड़ी खूबसूरती के साथ उकेरा गया है। हिन्दू, बौद्ध व जैन तीनों प्रकार के मंदिरों में यक्ष और गन्धर्वों की अनेक मूर्तियां हैं। यक्ष और गंधर्व कुछ बदलावों के साथ हिंदू, बौद्ध तथा जैन तीनों से संबंधित हैं। गंधर्व मुख्यतः संगीत से जुड़े देवता हैं, अप्सराएं उनकी पत्नियां हैं। यक्ष और यक्षणियों को सकारात्मक व नकारात्मक दोनों रूपों में दर्शाया जाता है, वे राक्षसों के निकट माने जाते हैं यद्यपि वे मनुष्य विरोधी नहीं हैं और सामान्यतः परोपकारी हैं। जैनों में यक्ष व यक्षिणी सभी 24 तीर्थंकरों के अलग-अलग शासन देवी-देवताओं के रूप में प्रदर्शित किए जाते हैं।
एलोरा गुफाओं की चित्रशैली : Ellora Caves Painting
वास्तु तथा दक्षिण के साथ-साथ एलोरा में चित्रकला का भी प्रदर्शन हुआ है, एलोरा मंदिर की दीवारों पर जो भित्ति चित्र मिले हैं उनसे पता चलता है कि मंदिरों के निर्माण के बाद उन्हें सुंदर चित्रों से अलंकृत किया जाता था। एलोरा की भित्ति चित्र बौद्ध जैन व हिंदू तीनों से संबंधित हैं किंतु अब उनके अवशेष मात्र ही शेष रह गए हैं जो गुफा संख्या 5, 6, 9, 12, 16 (कैलाश मंदिर), 32 (इंद्रसभा) एवं गणेश गुफाओं में देखे जा सकते हैं। गुफा संख्या 16 कैलाश मंदिर में चित्रकारों ने उत्कृष्ट चित्रकारी की है जिस कारण इसे रंगनाथ या रंगमहल भी कहा जाता है। एलोरा चित्रकला पर अजंता का प्रभाव है किंतु शैली भिन्न प्रकार की है एलोरा की राजकूट चित्रकला में, अजंता की चित्रकला जैसे भाव व सौंदर्य देखने को नहीं मिलते। हालांकि अधिकांश चित्रों के नष्ट हो जाने व धूमिल पड़ जाने के कारण एलोरा चित्रकला का सही मूल्यांकन संभव नहीं है।
एलोरा की गुफाओं का इतिहास : History of Ellora Caves
पहले ऐसा माना जाता था कि यहां बनाई गई बौद्ध गुफाएं सबसे प्राचीन हैं, किन्तु आधुनिक विद्वानों के अनुसार यहां सबसे पहले कुछ हिन्दू गुफाओं फिर बौद्ध गुफाओं और इसके बाद फिर से हिन्दू गुफाओं एवं अंत में जैन गुफाओं का निर्माण किया गया।
यहां की सबसे पहली शैव्य गुफाएं शिवभक्त कलचुरी शासकों द्वारा बनवाई गई, जबकि बौद्ध गुफाएं चालुक्य शासकों द्वारा बनवाई गई। बाद की हिन्दू गुफाएं एवं शुरुआती जैन गुफाएं राजपूतों द्वारा तथा बाद की जैन गुफाएं यादवों द्वारा बनवाई गई।
एलोरा की गुफाएं घूमने कब जाएं : When to visit Ellora caves
एलोरा की गुफाएं प्रत्येक मंगलवार को छोड़कर पर्यटकों के लिए सालभर खुली रहती हैं। किंतु अक्टूबर से फरवरी तक ठंडा सुहावना मौसम होने के कारण यहां पर्यटकों का जमावड़ा अधिक रहता है बरसात के मौसम में चारों ओर का वातावरण हरियाली से और भी सुन्दर व मनोरम हो जाता है। जगह-जगह कई झरने भी बहने लगते हैं। ऐसी खूबसूरत व मनोरम वातावरण का अनुभव बड़ा ही आनंददायक होता है।
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