Kirti Mandir Barsana : वृन्दावन से लगभग 42 किलोमीटर दूर स्थित है दुनिया का एकमात्र मंदिर जहां श्री राधारानी अपनी माँ कीर्ति मैया की गोद में बैठी हुई हैं। 35 एकड़ के विशाल प्रांगण में स्थित कीर्ति मंदिर के गुंबद में 25 स्वर्ण कलश लगे हुए हैं। कीर्ति मंदिर का निर्माण कार्य कृपालु जी महाराज के द्वारा वर्ष 2006 में शुरू करवाया गया था, 15 नवंबर 2013 में उनके स्वर्गवास के पश्चात मंदिर निर्माण कार्य को उनकी पुत्रियों द्वारा पूरा किया गया। मंदिर का निर्माण कार्य 12 वर्ष में 500 मजदूरों के द्वारा किया गया।
कन्हैया ले चल परली पार, साँवरिया ले चल परली पार।
जहां विराजे मेरी राधा रानी, अलबेली सरकार ॥
चलिए तो आज हम आपको लेकर चलते हैं श्री राधा रानी के निज धाम बरसाने में स्थित कीर्ति मंदिर!
बृज धाम वो भूमि है जहां भगवान अपनी भगवत्ता भूलकर भक्तों के आधीन हो जाते हैं और उनके प्रेम के भाव के अनुसार लीला विस्तार करते हैं इस बृज धाम की अधिष्ठात्री देवी हैं श्री राधा रानी, उन्हीं राधा का निजधाम है श्री बरसाना धाम, इसी दिव्य धाम में स्थापित है कीर्ति मंदिर जो जगदगुरू श्री कृपालुजी महाराज की प्रेरणा व संकल्प का मूर्तिमान स्वरूप है। जगदगुरू श्री कृपालुजी महाराज ने सम्पूर्ण विश्व में श्री राधा रानी की महिमा का जैसा प्रचार-प्रसार किया उसे शब्दों में लिखना संभव नहीं है।
कीर्ति मंदिर के अंदर का परिदृश्य : Landscape inside Kirti Mandir Barsana
कीर्ति मंदिर विश्व का प्रथम मंदिर है जिसका नाम श्री राधारानी की माँ कीर्ति मैया के नाम पर रखा गया एवं राधारानी अपनी माँ की गोद में विराजमान हैं , मंदिर में प्रवेश करते ही मंदिर की दीवारों पर की गई सुंदर कारीगरी मन को मंत्रमुग्ध कर देती है। आधुनिक तकनीक से बने इस मंदिर के लाल पत्थरों पर की गई बारीक नक्काशी प्राचीन भारतीय शिल्पकला की याद दिलाती है।
मोर एवं चंद्रिका की नक्काशी से सुसज्जित गर्वग्रह का प्रवेश द्वार खुलते ही सबसे पहले दर्शन होते हैं कीर्ति मैया की गोद में विराजमान श्री राधारानी के बालस्वरूप के, इस अद्वितीय एवं अलौकिक छवि की सुन्दर लालिमा भक्तजन देखते ही रह जाते हैं।
गर्वहग्रह में विराजमान श्री राधेश्याम वा सीताराम की छवि अनुपमेय है। गर्वहग्रह के दायीं तथा बायीं तरफ कुल आठ छोटे-छोटे मंदिर हैं इनमे श्री राधारानी की अष्टमहासखियों की अत्यंत सुंदर मूर्तियां विराजमान हैं। मंदिर की भीतरी दीवारों पर बहुमूल्य पत्थरों पर पच्चीकारी के माध्यम से श्री महाराज जी द्वारा रचित रसमय ग्रंथ, श्यामा-श्याम गीत व राधा-गोविंद गीत के दोहों को अंकित किया गया है। मंदिर के भीतरी परिसर में एक ओर जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज जी की प्रतिमा विराजमान हैं, जिनका महान संकल्प ही संसार के समक्ष भव्य कीर्ति मंदिर के रूप में उपस्थित है।
कीर्ति मंदिर के बाहरी प्रांगण का परिदृश्य : Exterior view of Kirti Mandir Barsana
कीर्ति मंदिर के बाहरी प्रांगण मे श्री राधाकृष्ण की अनेक मनोहर झाँकियां मंदिर की अलौकिकता व सजीवता में और भी अधिक वृद्धि कर देती हैं। कीर्ति मंदिर प्रांगण से बाहर निकलने पर आश्रम के मुख्य मार्ग के ठीक मध्य में रंगीली महल का साधना भवन स्थित है यह भवन जगदगुरू श्री कृपालु जी महाराज द्वारा दिए गए अनेक अनूठे प्रवचनों का साक्षी है, इस साधना भवन में जगदगुरू श्री कृपालु जी महाराज ने अनेकानेक प्रकार से साधकों को अपना दिव्य सनिध्य प्रदान किया है।
यहां श्री राधारानी नित्य निकुंजेश्वरी के रूप में सिंहासन पर विराजमान हैं। इसी प्रकार यहां श्री महाराज जी के कक्ष के समीप ही एक और सत्संग भवन है यहां भी श्री महाराज जी ने अपने सत्संग-माधुरी की रस वर्षा की है। यहां बैठते ही श्री महाराज जी की अनेकानेक स्मृतियों के सागर की लहरें हृदय से जाकर टकरातीं हैं एवं नेत्रों से अश्रु प्रवाह के रूप में बह जाती हैं।
प्रकाश वाटिका : Prakash Vatika
प्रकाश वाटिका, रंगीली महल परिसर का कुंज है जहां युगल सरकार झूला झूल रहे हैं। यहाँ मोर, गायें, ग्वाल-वाल, गोपियां आदि सभी हैं जो बृज की द्वापर युग की लीलाएं नेत्रों के समक्ष जीवंत कर देते हैं। अनेकों बार यहां श्री महाराज जी ने भक्तों की संकीर्तन-मंडली के साथ झांझ, मृदंग आदि की ताल पर कीर्तन में स्वयं सम्मलित होकर उनका उत्साह बढ़ाया है जिससे भगवन-नाम में और अधिक रुचि उत्पन्न हो इस स्थूल बरसाना में दिव्य बरसाने का निवास है, बरसाने के वास्तविक दर्शन तभी होंगे जब हम इस कथन पर पूर्ण रूप से विश्वास कर लेंगे कि यह वही धरा-धाम है जो गौ-लोक से 5000 वर्ष पूर्व अवतरित हुआ था।