भारत के सर्वाधिक प्रसिद्ध नेशनल पार्कों में से एक है काजीरंगा नेशनल पार्क, 430 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला काजीरंगा नेशनल पार्क साल और सागवान जैसे कई वृक्षों से घिरा हुआ है। लंबी हाथी-घास वाले इस विशाल जंगल के बीच से निकलती भारत की सबसे चौड़ी ब्रह्मापुत्र नदी इसकी सुंदरता में चार चांद लगाती है। काजीरंगा नेशनल पार्क में दुनिया भर से लुप्तप्राय हो चुके जीवों के संरक्षण के लिए बनाया गया वातावरण इसे बेहद खास बनाता है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान दुनिया भर के प्रकृति प्रेमियों, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफरों और पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले बाघ अभयारण्यों की सूची में शामिल इस राष्ट्रीय उद्यान में कई सारे पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियां देखने को मिलती हैं। बरसात के समय ब्रह्मपुत्र नदी उफान पर होती है इसलिए बरसात के समय काजीरंगा नेशनल पार्क में आवागमन अवरूद्ध कर दिया जाता है।
काजीरंगा नेशनल पार्क का इतिहास
निरंतर घटती आबादी के कारण विलुप्त होने की कगार पर आ चुके एक सींग वाला गैंडों की रक्षा के लिए सन् 1905 में 232 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को काजीरंगा रिजर्व फॉरेस्ट बनाया गया सन् 1916 में इसका नाम बदलकर काजीरंगा गेम रिजर्व रख दिया गया। इसके उल्लेखनीय प्रयासों से गैंडों के सफल संरक्षण के बाद सन् 1974 में इसी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में मान्यता दी गई एवं और भी वन्यजीवों के संरक्षण की जिम्मेदारी सौंपी गई। लुप्त हो रही प्रजातियां के संरक्षण में काजीरंगा नेशनल पार्क का महत्व और भी स्वीकार किया गया जब सन 1985 यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थलों की सूची में स्थान प्राप्त हुआ।
वर्तमान में काजीरंगा नेशनल पार्क का विस्तार 430 वर्ग किलोमीटर तक है दुनिया भर के गैंडों की आबादी का दो तिहाई हिस्सा इसी उद्यान में आश्रित है।
काजीरंगा नेशनल पार्क में पाए जाने वाले जानवर
काजीरंगा नेशनल पार्क में एक सींग वाला गैंडा, जंगली भैंसा, दलदल हिरण, एशियाई हाथी, सांभर, लोमड़ी, गोल्डन सियार, भालू, नेवला, बाघ और जंगली बिल्लियां आदि मिलाकर लगभग 35 स्तनधारी प्रजातियां पाई जाती हैं।
Indian Rhinoceros (एक सींग वाला गैंडा)
एक सींग वाला गैंडा जिसे भारतीय गैंडा भी कहा जाता है, मूलरूप से भारतीय उपमहाद्वीप पर पाए जाने वाले गैंडे की एक प्रजाति है। काजीरंगा राष्ट्रीय ध्यान एक सींग वाले गैंडे का गढ़ कहा जाता है। सबसे खतरनाक शाकाहारी जानवरों की सूची में शुमार इस गेंडे के अग्रभाग में एक सींग होता है जिसकी लंबाई 25 इंच तक हो सकती है। इनकी त्वचा काली-भूरे रंग की और अत्यंत मोटी होती है जो इनके लिए कवच का कार्य करती है यह अधिकतर अकेले रहने वाले जानवर होते हैं यह अपने क्षेत्र को मूत्र और गोबर के ढेर से चिन्हित करते हैं
Bengal Tiger (बंगाल टाइगर)
यह भी भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी है, यह बिल्ली की प्रजाति से आता है बंगाल टाइगर बाघों की सबसे बड़ी उप-प्रजाति है। काजीरंगा नेशनल पार्क में बहुतायत में पाए जाने वाले यह बाघ मुख्य रूप से हिरण, जंगली सूअर और बड़े खुर वाले जानवरों को खाते हैं अपनी असाधारण छलावरण प्रतिभा से शिकार पर घातक हमला करते हैं बंगाल टाइगर को लुप्तप्राय वन्यजीव के रूप में सूचीबद्ध किया गया है भारत में बाघों की संख्या 2500 से अधिक अनुमानित की गई है।
Asian Elephant (एशियाई हाथी)
एशियाई हाथी सबसे बड़े जमीनी जानवर होते हैं यह एशिया के विभिन्न देशों में पाए जाते हैं। काजीरंगा नेशनल पार्क एशियाई हाथों की एक बड़ी आबादी का घर है। काजीरंगा नेशनल पार्क में इन्हें अक्सर घास के मैदानों में चरते या घनी झाड़ियों के बीच से गुजरते हुए देखा जाता है यह पारिवारिक समूह में रहते हैं जिनका नेतृत्व वृद्ध महिला (हथिनी) करती है इनकी उपस्थिति काजीरंगा के आकर्षण को बढ़ाती है।
Swamp Deer (दलदल हिरण)
दलदल हिरण को बारहसिंघा के नाम से भी जाना जाता है, यह हिरण काजीरंगा नेशनल पार्क के घास के मैदानों में पड़ते हैं इस प्रजाति के नर हिरणों के पास बारह श्रंखला वाले सींग होते हैं यह ऊंचे घास के मैदानों में रहना पसंद करते हैं इन्हें भी ‘लुप्तप्राय’ प्रजाति में सूचीबद्ध किया गया है। इनके सींग और मांस की लिए अवैध शिकार के चलते इनकी संख्या में बड़ी गिरावट आई है दलदल हिरण सामाजिक जानवर है और आमतौर पर छोटे-छोटे झुण्डों में रहते हैं।
Wild Water Buffalo (जंगली भैंसें)
जंगली जलीय भैंसों को भी ‘लुप्तप्राय’ प्रजातियों की श्रेणी में रखा गया है इनकी आबादी का बड़ा हिस्सा काजीरंगा नेशनल पार्क में पाया जाता है। यह आमतौर पर छोटे-छोटे समूहों में पाई जाती हैं। गहरे काले रंग का मजबूत शरीर लंबे घुमावदार सींग के साथ इनका वजन 700 से 1200 तक होता है
काजीरंगा नेशनल पार्क में पाए जाने वाले पक्षी
Bengal Florican (बंगाल फ्लोरीकन)
बंगाल फ्लोरीकन, दुनियाभर में गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी, काजीरंगा नेशनल पार्क के ऊंचे घास के मैदानों में सामान्य से कम संख्या में दिखाई पड़ते हैं। इस प्रजाति के पक्षियों में नर, मादाओं की तुलना में काफी बड़े होते हैं व्यस्क नर के पंख मुख्य रूप से काले रंग के होते हैं पंखों पर सफेद धब्बे होते हैं और सिर पर एक पतली, लम्बी घुमावदार काले रंग की कलगी होती है इसके विपरीत मादाओं सिर पर कलगी नहीं होती और इनके पंखों का रंग भूरा-भूरा होता है जो इन्हें मैदानों में छिपने में मदद करता है
बंगाल फ्लोरीकन की संख्या विश्व भर में 1000 से कम होने का अनुमान है।
Great Indian Hornbill (ग्रेट इंडियन हॉर्नबिल)
काजीरंगा नेशनल पार्क में पाए जाने वाले ग्रेट इंडियन हॉर्नबिल के लिए सटीक जनसंख्या के आंकड़े निर्धारित करना मुश्किल है परन्तु इन्हें अपेक्षाकृत दुर्लभ माना जाता है यही मुख्य रूप से पेड़ों के खोखले तने को अपने रहने का स्थान बनाते हैं मुझे अपनी विशिष्ट आवाज से पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करते हैं अलग-अलग तेज और गहरी ध्वनियां निकालने में सक्षम होते हैं। हॉर्नबिल के काले पंखों पर सफेद धारी होती हैं इनकी चोंच का निचला हिस्सा सफेद एवं ऊपरी हिस्सा और गर्दन पीले रंग की होती है।
Lesser Adjutant Stork (सारस)
काजीरंगा नेशनल पार्क में अक्सर दल दलीय स्थानों और ब्रह्मपुत्र नदी के आसपास दिखाई पड़ता है। इसके पंख मुख्य रूप से काले होते हैं झुर्रीदार पीले रंग की गर्दन और बड़ी भारी मजबूत चोंच होती है। यह मांसाहारी होता है मुख्य रूप से मछली, मेंढक, छोटे स्तनधारी, बड़े कीड़े और मृत जानवरों का मांस खाते हैं। यही ऊंची बड़े पेड़ों पर अपना घोंसला बनाते हैं मादा सारस दो से तीन अंडे देती है माता और पिता दोनों बारी-बारी से उन्हें सेते हैं लगभग एक महीने बाद उनसे चूजे निकलते हैं जब तक भाई भोजन खोजने लायक नहीं हो जाते तब तक माता-पिता उन्हें भोजन खिलाते हैं।
Eagle (बाज)
काजीरंगा में सामान्यतः मछली खाने वाली बाजें (Fish Eagle) पाई जाती हैं इन्हें आप ऊंचे पेड़ों पर बैठे और ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर उड़ते देख सकते हैं। इनकी दृष्टि अत्यंत तीव्र होती है, आसमान पर उड़ते यह शिकारी बड़ी सटीकता और तेज गति के साथ गोता लगाते हैं और गहराई से मछली पकड़ लाते हैं इसकी गहरे भूरे रंग के पंखों का फैलाव डेढ़ मीटर से अधिक तक हो सकता है।
Indian Roller (नीलकंठ)
भारतीय संस्कृति से जुड़ा यह पक्षी काजीरंगा नेशनल पार्क के सुंदर परिदृश्य में रंगों की बौछार जोड़ता है काजीरंगा के आसमान को अपनी दिव्य कांति से सुशोभित करता यह पक्षी ऐसा लगता है मानो प्रकृति के कलाकार ने सावधानीपूर्वक इसके पंखों पर नीले और हरे रंग की छटा बिखेर दी हो। सहजता के साथ हवा में उड़ता यह पक्षी अपने अलौकिक पंखों के साथ हवा में उछल कूद करते हुए कलाबाजी का प्रदर्शन करता है मानो जीवन की असीमित खुशियों का उत्सव मना रहा हो। इसकी शारीरिक सुंदरता और मंत्रमुग्ध कर देने वाली उड़ान दिल की गहराई तक उतर जाती है। इसकी मधुर आवाज से प्रकृति भाव विभोर हो उठती है।
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